Nal Se Jal Yojana: देशभर में “हर घर जल” पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई Nal Se Jal Yojana आम लोगों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य था कि गांव-गांव तक पाइपलाइन, कुएं और ट्यूबवेल के माध्यम से साफ और पीने लायक पानी पहुंचे। लेकिन जब इसी योजना के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आए, तो भरोसे की नींव हिल जाती है। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला गुजरात के महिसागर जिले से सामने आया है, जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है।
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Nal Se Jal Yojana: कैसे हुआ घोटाला?
यह घोटाला 1 जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2023 के बीच हुआ माना जा रहा है। FIR के अनुसार, राज्य सरकार ने 620 गांवों में पानी की सुविधा जैसे पाइपलाइन, कुएं और ट्यूबवेल की व्यवस्था के लिए करोड़ों रुपये आवंटित किए थे। लेकिन इस फंड का इस्तेमाल जनता के हित में करने के बजाय, फर्जी बिल और कागज़ात के ज़रिए इसे निजी स्वार्थ के लिए निकाल लिया गया।आरोपियों ने फर्जी इनवॉइस तैयार किए, और यह दिखाया कि उन्होंने तय गांवों में काम पूरा कर लिया है, जबकि वास्तव में वहां कुछ भी नहीं किया गया था। उदाहरण के तौर पर जहां 5 किलोमीटर तक पाइपलाइन बिछाई गई थी, वहां 12 किलोमीटर तक का बिल जमा किया गया। मतलब यह कि जमीन पर काम कम हुआ लेकिन कागज़ों में ज़्यादा दिखाया गया, और अतिरिक्त पैसे निकाल लिए गए।
Nal Se Jal Yojana: जान-पहचान वालों को मिला काम, प्रक्रिया को किया नजरअंदाज़
FIR में साफ तौर पर यह उल्लेख है कि आरोपियों ने सरकारी नियमों को ताक पर रखकर, काम की जिम्मेदारी ऐसे लोगों को दी जो उनके करीबी, साझेदार या जान-पहचान वाले थे। इससे साफ होता है कि यह केवल एक व्यक्ति का कारनामा नहीं, बल्कि संगठित तरीके से किया गया घोटाला है जिसमें आपसी लाभ के उद्देश्य से सरकारी पैसे को लूटा गया।WASMO (Water and Sanitation Management Organisation) के महिसागर यूनिट मैनेजर गिरीश अगोला की शिकायत पर यह FIR दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि फर्जीवाड़ा इतनी बारीकी से किया गया था कि जब तक उसकी तह में नहीं गए, सच्चाई सामने आना मुश्किल था।
Nal Se Jal Yojana: जनता के साथ किया गया विश्वासघात
जिस योजना का मकसद था कि गांव के हर घर में नल से जल पहुंचे, उसी योजना को कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपनी कमाई का जरिया बना लिया। यह सिर्फ पैसों की चोरी नहीं, बल्कि उन लाखों ग्रामीणों के साथ विश्वासघात है, जो हर दिन पीने के पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।जब सरकार भरोसा करके योजनाएं बनाती है, और अधिकारी उसी भरोसे को तोड़ते हैं, तब सवाल उठता है कि आम आदमी किस पर भरोसा करे?[Related-Posts]
Nal Se Jal Yojana: सरकार को लेना होगा कठोर एक्शन

इस मामले ने पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ज़रूरत है कि इस पूरे मामले की सघन जांच हो और दोषियों को कठोर सजा दी जाए, ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने की हिम्मत न कर सके।साथ ही, यह भी जरूरी है कि योजनाओं की निगरानी प्रणाली को मज़बूत किया जाए, ताकि ज़मीन पर काम का मूल्यांकन नियमित रूप से हो सके और कोई भी व्यक्ति धोखा न कर सके।महिसागर का यह मामला हमें यह सिखाता है कि योजनाएं चाहे कितनी भी अच्छी हों, अगर उन्हें सही तरीके से लागू न किया जाए तो उनका कोई मतलब नहीं रह जाता। Nal Se Jal Yojana जैसे कल्याणकारी प्रयासों को सफल तभी बनाया जा सकता है जब ईमानदार कार्यान्वयन, निगरानी और जवाबदेही को प्राथमिकता दी जाए।
Disclaimer: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्य के लिए लिखा गया है। इसमें उल्लिखित तथ्य सार्वजनिक मीडिया स्रोतों और प्राथमिकी (FIR) पर आधारित हैं। मामले की जांच अभी चल रही है, अंतिम निष्कर्ष जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर ही तय होगा।